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Song of Solomon 3

:
Hindi - CLBSI
1 ‘रात के समय मैं पलंग पर लेटी थी, उस समय मैंने अपने प्राण-प्रिय को पाना चाहा; मैं उसे ढूंढ़ने लगी, पर वह मुझे मिला। मैंने उसको पुकारा, किन्‍तु उसने उत्तर नहीं दिया।
2 अब मैं पलंग से उठकर शहर में, गलियों, चौराहों में घूम-घूम कर अपने प्राणप्रिय को ढूंढूंगी।
3 मुझे पहरेदार मिले; वे शहर में घूम-घूम कर पहरा दे रहे थे। मैंने उनसे पूछा, “क्‍या तुमने मेरे प्राण-प्रिय को देखा है?”
4 मैं उनके पास से गुजरी ही थी, कि मुझे अपना प्राणप्रिय मिल गया। मैंने उसको पकड़ लिया; जब तक मैं उसे अपनी मां के घर में, अपनी जननी के कक्ष में ले आई, मैंने उसको जाने दिया।
5 ‘ओ यरूशलेम की कन्‍याओ! मैं वन-प्रदेश की हरिणियों और मृगियों की तुम्‍हें शपथ देती हूं: जब तक प्रेम स्‍वत: जाग उठे, तुम उसे उकसाना, तुम उसे जगाना।
6 ‘गन्‍धरस और लोबान से सुगन्‍धित, गन्‍धी के सब प्रकार के मसालों का लेप लगाये, धुएं के खम्‍भे-सा यह कौन निर्जन प्रदेश से रहा है?
7 अरे, यह तो राजा सुलेमान की पालकी है। इस्राएली सेना के चुनिन्‍दे साठ योद्धा उसके साथ-साथ चल रहे हैं।
8 वे सब तलवार बांधे हुए हैं, वे युद्ध-विद्या में निपुण हैं। रात के खतरे से सतर्क रहने के लिए प्रत्‍येक योद्धा अपनी जांघ पर तलवार लटकाए रहता है।
9 राजा सुलेमान ने लबानोन प्रदेश के देवदार की लकड़ी से एक पालकी बनवाई है।
10 उसने उसके पाये चांदी के, और उसका सिरहाना सोने का बनवाया है। पालकी की गद्दी बैंजनी वस्‍त्र से मढ़ी है, उसका भीतरी भाग चर्म-पट्टियों से सजा है।
11 ‘ओ यरूशलेम की कन्‍याओ, अपने-अपने घर से बाहर निकलो। सियोन की पुत्रियो, बाहर आकर राजा सुलेमान को देखो। वह उस मुकुट को पहिने हुए है, जो उसकी माता ने उसके विवाह के दिन उसके हृदय के आनन्‍द-दिवस पर उसको पहिनाया था।’